[2023] बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं

भाषा कौशल के विकास एक शिशु के जीवन में महत्वपूर्ण पड़ा चरण होता है। माता-पिता के रूप में हम अपने छोटे से बच्चे के पहले शब्दों की प्रतीक्षा करते हैं। यह उनके लिए एक अनमोल समय होता है। इस लेख में, हम शिशुओं के भाषा विकास के समयरेखा का पता लगाएंगे और बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं?

क्या आपने कभी सोचा है कि शिशुओं को बात करना शुरू करने में कितना समय लगता है? विशेषज्ञों के मुताबिक सभी बच्चों में बोलने का समय अलग-अलग होता है। आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ बच्चे जन्म होने के बाद जल्दी बोलना शुरू कर देते हैं वहीं कुछ बच्चे को बोलने में काफी समय लग जाता है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर बच्चों की क्षमता अलग-अलग होती है। अधिकतर स्थितियों में आपके आसपास के वातावरण का भी बहुत प्रभाव पड़ता है।

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शिशुओं में भाषा विकास

हर माता पिता अपने बच्चे की आवाज सुनने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं। जब बच्चे तोतली भाषा में बोलना शुरू करते हैं तो माता पिता और परिवार के लोगों में एक अलग खुशी नजर आती है। शिशुओं में भाषा विकास कई चरणों में विभाजित किया जा सकता है। चलो इन्हें एक-एक करके देखते हैं :-

बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं

हर माता-पिता के लिए बच्चे का पहली बार बोलना पहली मुस्कान पहला कदम आदि एक अद्भुत अनुभव होता है बच्चे की हर पहली चीज मां बाप के लिए एक यादगार लम्हा होता है।

जीवन के पहले कुछ महीनों में, शिशु रोते, गुदगुदाहट करते और विभिन्न ध्वनियों को बनाने के माध्यम से संवाद करते हैं। वे अभी शब्दों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन भाषा अभिधान की नींव रख रहे हैं।

बच्चे के बोलने की सही उम्र, बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं

आपको बता दें कि जन्म से 3 माह की उम्र तक बच्चा अपने और अपने आसपास के लोगों की आवाजें पहचानने लग जाता है। वह अपनी पहचानी हुई आवाज पर जवाब देने की कोशिश करने लगते हैं।

इस उम्र में बच्चा परिचित आवाज की ओर देखता है और तेज आवाज से डर जाता है साथ ही बच्चा हंसकर और मुस्कुराकर आपसे जुड़ने और बात करने की कोशिश करने लगता है।

लगभग 6 से 9 महीने की आयु में, शिशु गुदगुदाहट और ध्वनिक खेल करना शुरू करते हैं। यह उन्हें विभिन्न ध्वनियों के साथ खेलने और भाषा उत्पादन के लिए तैयार करता है। वे “बा-बा” या “मा-मा” जैसे दोहराने वाले अक्षरों का उत्पादन करने लगते हैं।

इस दौरान बच्चा सुनी हुई आवाज पर उत्साह दिखाता है ध्यान आकर्षित करने के लिए आवाज निकालना खेल के दौरान हंसना और बड़बड़ाना जैसे आदतों का विकास शुरू हो जाता है

10 से 14 महीने की बीच, शिशुओं को सामान्यतः अपने पहले शब्दों का उच्चारण करना शुरू होता है। इन शब्दों में “मामा”, “डाडा” या “गेंद” जैसे सरल संज्ञाओं की शामिल हो सकती है। उनकी शब्दावली धीरे-धीरे बढ़ती है जब वे नए शब्द सीखते हैं और उन्हें उनके अर्थों के साथ जोड़ते हैं।

बहुत बार ऐसा भी देखा गया है कि दो से ढाई साल का बच्चा भी अगर मीनिंग फुल वर्ड नहीं बोल पाता है तो पेरेंट्स बहुत चिंतित हो जाते हैं। हम आपको बता दें कि इसमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि जब शिशु छोटा होता है उसके पास शब्दों की वोकैबलरी बहुत कम होती है।

जिसके कारण बच्चे अपने आसपास के शब्द शामिल कर देते हैं यदि कोई गाड़ी जाती है तो वह केवल गाड़ी ही बोलते हैं अर्थात वह पूरा वाक्य नहीं बोल पाते हैं। जैसे बच्चा दूध मांगता है तो वह केवल दूदू का उच्चारण करता है।

इस उमर में बच्चा अलग-अलग आवाज जैसे फोन की रिंग दरवाजे की घंटी जैसी आवाजें पहचानने लग जाता है।

बहुत से पेरेंट्स का यह सवाल होता है कि बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं। ज्यादातर बच्चे 12 से 18 महीने की उम्र तक बोलना शुरू कर देते है। विशेषज्ञों के अनुसार 2 साल का शिशु लगभग 5 से 7 वाक्य बोल सकता है वही 3 साल की उम्र तक आते-आते शिशु की शब्दावली लगभग 1000 शब्दों से 1200 शब्दों तक हो जाती है।

पर्यावरणीय कारक भाषा विकास पर प्रभाव डाल सकते हैं। शिशु के संगीत, कविताएं, बातचीत, और परिवार के सदस्यों के साथी का संवाद उनकी भाषा कौशल को विकसित करने में मदद कर सकता है।

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विशेषज्ञों के अनुसार जब बच्चा आमतौर पर अपने आसपास के सुनाई देने वाली आवाजों की नकल करता है। इस दौरान वह अपनी तोतली भाषा से उसको बोलने का प्रयास करता है। ऐसा भी माना जाता है कि बच्चे को किसी शब्द को शुरू करने से पहले उसे कम से कम 100 बार सुनने की आवश्यकता होती है।

छोटे बच्चों को बात करना कैसे सिखाएं।

छोटे बच्चों को बात करना सिखाने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:

छोटे बच्चों को बात करना कैसे सिखाएं।, शिशुओं में ऑटिज्म के लक्षण
  1. छोटे बच्चों के साथ वार्तालाप करते समय उन्हें ध्यान से सुनें और अपने जवाबों को सरल और संक्षेप में रखें। उनके प्रश्नों का समय पर उत्तर दें और उनकी भाषा को समझने का प्रयास करें।
  2. बच्चों को कहानियों का सुनना पसंद होता है। उन्हें छोटी-मोटी कहानियाँ सुनाएं और उनसे उनके पसंदीदा किरदारों के बारे में बातचीत करें। इससे उनकी भाषा कौशल विकसित होगी।
  3. बच्चों के बीच संवाद को सुखद और अंग्रेज़ी कौशल को विकसित करने का एक अच्छा तरीका है। उन्हें खेल या गतिविधियों के दौरान अंग्रेजी में विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  4. आप चित्रों, चार्ट्स, और गतिविधियों के माध्यम से छोटे बच्चों को बात करना सिखा सकते हैं। यह उनकी भाषा कौशल और समझ को बढ़ाने में मदद करेगा।
  5. बच्चों को बातचीत का संगठित माध्यम सिखाएं, जैसे कि कहानी या नाटक का निर्माण करना। इससे उन्हें सही वाक्य रचना और बातचीत करने में मदद मिलेगी।
  6. बच्चों के सामरिक और रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करें। उन्हें ड्रामा, नाटक, गीत या कविता के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने का मौका दें।

याद रखें कि हर बच्चा अद्वितीय होता है और उनका विकास अलग-थलग हो सकता है। इसलिए, धैर्य रखें और उन्हें समय दें ताकि वे आत्मविश्वासपूर्वक बात करने में सिख सकें।

छोटे बच्चों की भाषा में देरी होना

यदि आपका बच्चा सही उम्र में नहीं बोल पा रहा है तो कुछ बच्चों को भाषा में देरी हो सकती है। जिसकी मदद से आप यह जान पायेंगें की छोटे बच्चो की भाषा बोलने में देरी कैसे होती है वह क्या कारण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण पहले संकेत हैं :-

1. परिभाषा और कारण

भाषा में देरी का मतलब है कि शिशु अपनी उम्र के अनुसार अपेक्षित भाषा कौशल नहीं दिखा रहा है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि विकासात्मक कमी, भाषा में निर्माण के नियमों के गलती, या सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव।

2. हस्तक्षेप और सहायता

शिशुओं के भाषा में देरी के मुख्य संकेत में से एक हस्तक्षेप हो सकता है। इसके लिए बच्चों को अपनी भाषा कौशल को विकसित करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है, जैसे कि शिक्षाप्रद खेल, संगठित संवाद, और विशेषज्ञों की सलाह।

3. बौद्धिक विकलांगता

बौद्धिक विकलांगता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की मानसिक क्षमता में कमी होती है। यह एक प्रकार का विकलांगता है जिसमें व्यक्ति को सामान्य बौद्धिक कार्यों को समझने, याद करने, सोचने और तय करने में परेशानी होती है। इसके कारण व्यक्ति की शिक्षा, संघर्ष, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन की कई पहलुओं पर असर पड़ता है।

4. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ऑटिज्म) एक मानसिक विकलांगता है जो बचपन से ही दिखाई देती है। यह एक विकासात्मक विकलांगता है जो व्यक्ति के सामाजिक और संचार कौशल को प्रभावित करती है। ऑटिज्म के लिए “स्पेक्ट्रम” शब्द इस बात की ओर संकेत करता है कि इसमें व्यक्ति के विकास के विभिन्न पहलुओं में भिन्नताएं हो सकती हैं।

ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को सामाजिक और संवेदनशीलता कौशलों में कमी होती है। वे सामान्यतः सामाजिक संपर्क, भाषा संबंधी कौशल, इंटरेस्ट और संग्रह दक्षता में असामर्थ्य का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही, वे सामान्यतः समाज में बनाए रखने की क्षमता में भी परेशानी हो सकती है।

5. बच्चों के लिए गीत गुनगुनाए

बच्चों को बोलना सिखाने के लिए एक अच्छा तरीका है उन्हें गीत गुनगुनाना। गाने का साथ बच्चों की भाषा और संवेदनशीलता को विकसित करने में मदद कर सकता है। यह एक आनंददायक और सहज तरीका है जिससे उनकी ध्यानावश बना रहती है। नीचे कुछ आदर्श गीतों की सूची है जिन्हें आप अपने बच्चे के साथ गुनगुना सकते हैं।

  1. “आ ती बिरा में जोली ले जा” (A-Tee Bira Mein Joli Le Ja)
  2. “चंदा मामा दूर के” (Chanda Mama Door Ke)
  3. “आओ सो जाएं” (Aao So Jaaye)
  4. “भैंसा चाली सासुराल” (Bhainsa Chali Sasural)
  5. “एक चिड़िया के दो बच्चे थे” (Ek Chidiya Ke Do Bachche The)
  6. “आलू कचालू बेटा कहां गए थे” (Aloo Kachaloo Beta Kahan Gaye The)
  7. “मच्छर गया राजा का मेहल में” (Machhar Gaya Raja Ka Mahal Mein)
  8. “चोटी से नन्हीं सी प्यारी सी” (Choti Se Nanhi Si Pyari Si)

ये गीत बच्चों के लिए मनोरंजक और शिक्षाप्रद हो सकते हैं। इन गीतों के बोल आसान होते हैं और उन्हें गुनगुनाना बच्चों की भाषा और शब्दावली को सुधार सकता है। साथ ही, इससे उनकी सुनने, गहराई से सुनने और बोलने की क्षमता भी विकसित हो सकती है।

6. बच्चों की आवाज कॉपी करें

बच्चों को बोलना सिखाने के लिए एक अच्छा तरीका है उनकी आवाज कॉपी करना। आप बच्चे के सामने आवाजों की मादकता, ताल, उच्चारण और भाषा को नकल कर सकते हैं। बच्चे के सामरिक गतिविधियों को कॉपी करने के लिए उनके पीछे जाएं।

उदाहरण के लिए, आप एक शब्द बोलें और उसे बच्चे से दोहराएं, ताकि उन्हें आपकी आवाज को सुनकर उसे मिमिक करना सीखें। अगर वे खेल रहे हैं तो आप भी उनके साथ खेलें और उनकी बोलचाल के साथ में बातचीत करें। इससे उनकी सुनने और बोलने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

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गूंगे बच्चे के लक्षण

बच्चे की भाषा विकास में अक्सर यह सवाल उठता है कि बच्चे कितने दिन में बोलने लगते हैं। आमतौर पर, बच्चे कभी-कभी अपनी भाषा विकास में थोड़ी देरी करते हैं। ऐसे स्थितियों में, बच्चे को गूंगा या बोलने की स्पष्टता के लिए जरूरी अक्षरशः नहीं माना जाता है। इसलिए, यदि आपका बच्चा विचलित, अस्पष्ट या निःस्वार्थ रूप से बोलता है, तो उसे गूंगा बच्चा कहा जाता है।

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गूंगे बच्चों के कुछ मुख्य लक्षण हैं

  1. उनमें शब्दों के विभिन्न संकेतों की अनुपस्थिति हो सकती है। वे शब्दों के बजाय इशारों, आंखों की भाषा, या उनके चेहरे के एक्सप्रेशन का उपयोग करके संवाद करने की कोशिश कर सकते हैं।
  2. गूंगे बच्चों शब्दों को सही ढंग से बोलने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं और ध्वनियों की संख्या, अक्षरों की क्रमबद्धता, या ध्वनियों के अंतर को समझने में दिक्कत हो सकती है।
  3. गूंगे बच्चे शब्दों के बजाय संकेतों का उपयोग करते हैं। इससे उनकी संवादित भाषा सीमित हो सकती है और वे अपनी इच्छानुसारी बात को व्यक्त नहीं कर पाते हैं।
  4. गूंगे बच्चों के भाषा विकास में अक्सर देरी होती है। इसका मतलब है कि वे अपनी उम्र के अनुसार अपेक्षित भाषा कौशल नहीं दिखा रहे हो सकते हैं।
  5. गूंगे बच्चों को भाषा में सहायता की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए, माता-पिता को उन्हें समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता होती है। ताकि उनकी भाषा कौशल में सुधार हो सके।

बच्चे की बोलने की दवा

जब बच्चे के बोलने का विकास धीमा होता है या जब वे बात करने में समस्या अनुभव करते हैं, तो माता-पिता अक्सर चिंतित हो जाते हैं और उन्हें बच्चे को बोलने की दवा के बारे में सोचने की आवश्यकता होती है। यहां हम बच्चों की बोलने की दवा के बारे में जानकारी देंगे:

1. वैध चिकित्सा परामर्श

यदि आपका बच्चा बोलने में देरी कर रहा है या किसी भाषा विकास संबंधी समस्या का सामना कर रहा है, तो सबसे पहले आपको एक वैध चिकित्सा परामर्शक से मिलना चाहिए। वे आपके बच्चे की जांच करेंगे, उनकी विकास और आवश्यकताओं का मूल्यांकन करेंगे और सही उपचार योजना बनाएंगे।

2. शिक्षाप्रद खेल और गतिविधियां

बच्चों के भाषा विकास को बढ़ाने के लिए शिक्षाप्रद खेल और गतिविधियों का उपयोग किया जा सकता है। इससे बच्चे की भाषा कौशल में सुधार होता है और उन्हें शब्दावली, वाक्य रचना, और संवाद कौशल का विकास होता है।

बच्चे की बोलने की दवा, 4 साल के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं

3. वाणिज्यिक बोलने के उपकरण

कुछ बच्चों के लिए वाणिज्यिक बोलने के उपकरण उपयोगी हो सकते हैं। ये उपकरण उच्चारण कौशल को सुधारने और स्पष्टता में मदद कर सकते हैं। माता-पिता को उपकरणों का उचित चयन करने के लिए विशेषज्ञ सलाह लेनी चाहिए।

4. दैनिक गतिविधियाँ

दैनिक गतिविधियाँ करने के दौरान अपने बच्चे की भाषा कौशल को सुधारने का एक अच्छा मौका होता है। उन्हें दैनिक गतिविधियों में शामिल करें, जैसे कि खिलौनों के नाम बोलना, खाद्य पदार्थों के नाम बताना, वस्त्रों के नाम बोलना आदि। यह उनके शब्दावली और भाषा कौशल को बढ़ाने में मदद करेगा।

5. संगठित संवाद और स्थिति प्रश्नोत्तरी

बच्चे के भाषा विकास को सुधारने के लिए संगठित संवाद और स्थिति प्रश्नोत्तरी अभ्यास किया जा सकता है। इसके लिए, माता-पिता को अपने बच्चे के साथ नियमित रूप से संवाद करना चाहिए और उन्हें वाक्यांशों, प्रश्नों, और जवाबों का व्यायाम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

6. प्रेरणा और प्रशंसा

बच्चे को बोलने के लिए प्रेरित करें और उनकी प्रशंसा करें। उनके द्वारा कहे गए शब्दों की प्रशंसा करें और उन्हें संवाद में सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करें। सकारात्मक प्रतिक्रिया और स्तुति उनकी आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेंगी।

ध्यान दें: हर बच्चा अपने विकास में अलग होता है, इसलिए सब्र रखें और अपने बच्चे के व्यक्तिगतता के अनुसार उपायों का उपयोग करें।

निष्कर्ष

जब आप अपने बच्चों के साथ संवाद करते हैं तो आपके शब्दों को समझ कर बच्चा सीखने लगता है यह एक महत्वपूर्ण संकेत है जब आप अपने बच्चों को कुछ भी बार-बार बोलते हो तो उस चीज को समझने लगते हैं और धीरे-धीरे आपका बच्चा भी उसको दोहराने लगते हैं।

यह बहुत जरूरी होता है कि बच्चे की बातचीत के लिए एक सही माहौल होना चाहिए। जब भी आप अपने बच्चों से बातचीत करते हैं तो आप थोड़ी देर रुके और बच्चे को जवाब देने का मौका जरूर दें।

एक शिशु की भाषा विकास में बोलने का कौशल बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे समय देने के साथ, परिवार के सहयोग और उपयुक्त मार्गदर्शन के माध्यम से समृद्ध किया जा सकता है। शिशु की भाषा में देरी की संकेतों को पहचानने और सहायता करने के माध्यम से, हम उन्हें सम्पूर्ण विकास के लिए एक स्थिर आधार प्रदान कर सकते हैं।

ध्यान दें: यह लेख केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से है और चिकित्सा या विशेषज्ञ की सलाह की विकल्पित नहीं है। यदि यह सब करने के बाद भी आपका बच्चा नहीं बोल पा रहा है तो आप को बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए यहां दी गई जानकारी आपके लिए मददगार हो सकती है।

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