दोस्तों आपने बहुत बार सुना होगा की खाना खाते समय पानी नहीं पीना चाहिए। अपने यह भी सुना होगा की हमारे पेट में अग्नि को पानी बुझा देता है। तो दोस्तों आज के इस Topic में हम यही बात करेंगे की खाना खाने के बाद पानी क्यूँ नहीं पीना चाहिए।
क्या खाना पचाने के लिए हमारे पेट में आग जलती है?
आपने स्वास्थ्य से संबंधित बहुत सी ऐसी बाते सुनी होगी जिसमे बताया होगा की खाना खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए। ताकि हमारी जठराग्नि मंद न पड़ जाये। ऐसा आपने कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है की जठराग्नि क्या होती है।
दोस्तों में आपको बता देता हूँ की बाग्वट के ग्रंथ अष्टांग हृदयम में भी यह बात लिखी है की खाना खाने के तुरंत बाद पानी पिने से जठराग्नि मंद पड़ जाती है। जिसके कारण हमारे द्वारा खाया हुआ खाना Digest नहीं हो पता है।
इस शव्द जठराग्नि को लेकर लोगों में हमेशा भ्रम की स्थिति रहती है की क्या पेट में सच में आग जलती है।
जिसके कारण हमारे पेट में खाना Digest होता है। आज की इस पोस्ट में आपको में यही बताऊंगा।
दोस्तों जठराग्नि का मतलब यह नहीं की आपके पेट के अंदर कोई लकड़ियाँ जल रही हो और आपका खाना पच रहा हो। असल में जठराग्नि शब्द का अर्थ पाचक रस से है। यानि की खाना पचाने वाले रस जो हमारे शरीर में खाना पचाते है।
जठराग्नि सरल भाषा में :-
हमरा शरीर बहुत ही अद्भुत है। इसका पूर्ण ज्ञान शायद ही किसी को होगा। इसको समझने के लिए हमें इसकी कार्यशैली पर भी नजर डालनी चाहिए की यह किस तरह से काम करता है। दोस्तों भले ही हमारे शरीर की कार्यप्रणाली के बारे में नहीं पता। लेकिन हम शरीर को अपने जन्म से लेकर आज तक अच्छी तरह जानते है। लेकिन हमारा अधिकार सिर्फ मुहं तक है।
ध्यान दीजिये दोस्तों हमारा अधिकार केवल मुहं तक ही है। उसके बाद अंदर क्या हो रहा है। हमें पता ही नहीं है। सही बोल रहा हूँ न?
दोस्तों शरीर का थोडा ज्ञान भी अगर हमें हो तो हम अनेक बिमारियों से बचे रहेंगे। इसलिए हमें शरीर की कार्यप्रणाली को समझना चाहिए।
खाना खाने से खाना पचने तक शरीर में क्या-क्या होता है?
जब भी हम खाना खाने के लिए मुहं खोलते है और पहला निवाला मुहं में डालते है और उसे लार की सहायता से निगलते है। तब शरीर अपने कार्य में जुट जाता है। खाना जब हमारे गले के निचे उतरता है उस समय शरीर गले की ग्रन्थियों को एक सन्देश देता है कि खाना आ रहा है। पाचक रसों का रिसाव किया जाये। पाचक रस छोड़ें जाएँ। यह पाचक रस हमारे गले की ग्रंथियों से निकलते है।
हमारे गले में शरीर का एक सेंसरबोर्ड (पाचक वाली ग्रंथियां) लगा हुआ है जो यह बताता है कि अमाशय में आने वाली चीजें क्या है। उसी अनुसार शरीर अपने निर्णय लेकर अपने कार्य करता है। अगर शरीर में अपने स्वाद से भरा कचरा डाला जैसे बर्गर चोव्मिन आदि तो शरीर में उसकी वह कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। फिर वह सड़कर बदबूदार रूप से ही बहर निकलता है।
रिसर्च में इस बात का पता चला है कि इन पाचक वाली ग्रन्थियों का संबंध हमारे मूड पर भी होता है। यांनी अगर हम गुस्से में भोजन करेंगे तो भोजन का पाचन नहीं होता। क्यूंकि इस दौरान शरीर जिसे हम प्राणशक्ति भी कहते है वह गुस्से को शांत करने में लग जाती है और गंथियों को पता नहीं लग पता की रस छोड़ना है की नहीं।
आयुर्वेद में यह बात कही गयी है कि भोजन करते समय बातचीत नहीं करनी चाहिए। भोजन मौन होकर चुपचाप खाना चाहिए। क्यूंकि बोलने से कब पता की कब बात बिगड़ जाये और इसके साथ ही बोलते हुए खाने से हम भोजन भी ठीक से चबा नहीं पाते।
अगर आप बातचीत करते भोजन करते है तो आगे से ऐसी गलती मत कीजिये नहीं तो उस वक्त का खाया हुआ भोजन सड़ कर ही बहार निकलेगा। अब पानी पिने का खेल भी थोडा समझ लीजिये।
दोस्तों 95% लोग खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लेतें है। ध्यान दीजिये खाना खाने के बाद पानी पी लेते है। अब उस समय क्या होता है यहाँ पर मौजूद पाचक वाली ग्रंथियां को शरीर द्वारा जो सन्देश मिलता है वह यह कि पाचक रसों को बंद किया जाये। क्यूंकि पानी आ गया है।
जैसे ही खाने के बाद आप पानी पियेंगे शरीर खाना पचाने वाला पाचक रस को बंद कर देता है। इसलिए कहा गया है जठराग्नि मंद पड़ गयी है या बुझ गयी है। उसका असली कारण यही है।
इसी के साथ में उम्मीद करता हूँ कि आपने इस पोस्ट को अच्छी तरह पढ़ा होगा और आपको हर बताई हुई चीज समझ आयी होगी। अगर आपको कहीं समझ न आया हो तो आप मुझे comment करके बता सकते हो। मैं आपके Question का Answer देने की पूरी कोशिश करूंगा।
दोस्तों पोस्ट को पढने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ और आपसे अलविदा चाहता हूँ। अलगी पोस्ट मैं फिर नए Topic and Tips के साथ मिलेंगें. तब तक के लिए धन्यवाद।