पोषक पदार्थ क्या होतें है || Definition of Nutrients in hindi|| Types of Nutrients and their Sources|| Complete Information

आज के इस Topic में हम बात करेंगे कि क्या  हमारे शरीर के लिए Nutrition (पोषण) जरूरी है, और Nutrients (पोषक पदार्थ) क्या होतें हैं और Nutrients (पोषक  पदार्थ) कौन कौन से प्रकार के होते है और क्या  Nutrients (पोषक  पदार्थ) हमारे शरीर के लिए जरूरी है.?

क्या हम बिना Nutrients पोषक पदार्थ के भी जीवित रह सकते हैं.?

प्रिय पाठको आज हम इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। मैं आपसे आग्रह करूंगा की आप इस पोस्ट को अच्छे से पढेंगे और इस पोस्ट के माध्यम से दी हुई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। ➤➤

 इस लेख में विषय शामिल हैं :-

1) क्या  हमारे शरीर के लिए Nutrition (पोषण) जरूरी है?

Covered Topics List

ⅰ) Nutrients (पोषक पदार्थ) क्या होतें हैं?

 

2) मनुष्य के शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए निम्नलिखित पोषक पदार्थों की आवश्यकता हैं?

Ⅰ)  कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) 

 ⅰ) कार्बोहाइड्रेट के प्रकार

          ⅱ) कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख कार्य

 
 Ⅱ) प्रोटीन (Protin)

 ⅰ) प्रोटीन के प्रमुख प्रकार 

 ⅱ) प्रोटीन के महत्वपूर्ण कार्य 

 
 Ⅲ) वसा (Fat)

 ⅰ) वसा के प्रकार

 ⅱ) वसा के मुख्य: कार्य

 
 Ⅳ) विटामिन (Vitamin)

 ⅰ) विटामिन के प्रकार

 ⅱ) हमारे शरीर के लिए कितने प्रकार के विटामिन की जरूरत होती है?

 ⅰ) Vitamin A

ⅰ) Vitamin B1 

ⅱ) Vitamin B2

ⅲ) Vitamin B3

ⅳ) Vitamin B5            

ⅴ) Vitamin B6 

ⅵ) Vitamin B7

ⅶ) Vitamin B9

ⅷ) Vitamin B12

 ⅲ) Vitamin C

 ⅳ) Vitamin D

 

 
 
Ⅴ) न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid)

 ⅰ) न्यूक्लिक अम्ल के प्रकार 

 
 Ⅵ) खनिज लवण (Minerals Salt)

 ⅰ) खनिज लवण कितने प्रकार के होतें है ?

 
 Ⅶ) जल (Water)



क्या  हमारे शरीर के लिए Nutrition (पोषण) जरूरी है?

जी हाँ  दोस्तों,
Nutrition  क्या है जिसे हम हिंदी में पोषण के नाम से जानते हैं। यह खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों को लेने की एक प्रक्रिया है। Nutrition शरीर को विकसित, मरम्मत और बनाए रखने के लिए जरूरी है। यदि आप हेल्दी फूड के जरिए सही मात्रा में Nutrition लेते हैं तो आप अपने शरीर को पूरी तरह से फिट रख पाएंगे।


Nutrients (पोषक पदार्थ) क्या होतें हैं?

पोषक पदार्थ  (Nutrients)

पोषक पदार्थ, जो जीव में विभिन्न प्रकार के जैविक कार्यों के संचालन एवम संपादन के लिए आवश्यक होते है पोषक पदार्थ कहलाते हैं.

Nutrients, Tissue तथा Cell का निर्माण करते हैं. और साथ ही साथ उनकी मरम्मत भी करतें है। 

Nutrient ही हमारी body को Hit और Energy Provide करतें हैं. और ये ही energy हमारे शारीर की क्रियाओं को चलाने के लिए आवश्यक होती है। 

उपयोगिता के आधार पर ये पोषक पदार्थ 4 प्रकार के होतें है। 

1. उर्जा उत्पादक (Energy Producer) :-

उर्जा उत्पादक जैसे की आपको इसके नाम से ही पता चल रहा है की उर्जा को उत्पादित करने वाला. वे पोषक पदार्थ जो उर्जा उत्पन करते हैं,जैसे कि फैट, कार्बोहाइड्रेट, वसा इत्यादि। 

2. वृद्धि तथा निर्माण पदार्थ (Growth and Construction Materials) :-

वे पोषक पदार्थ जो हमारे शरीर की वृद्धि एवं शरीर की टूट फुट की मरम्मत का कार्य करतें है। जैसे प्रोटीन। 

3. उपापचयी नियंत्रक (Metabolic Controller) :-

वो पोषक पदार्थ जो शरीर के विभिन उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करतें है। जैसे कि विटामिन, लवण, एवं जल।  यह हमारे शरीर को नियंत्रित करतें है। 

4. अनुवांशिक पदार्थ (Genetic Materials) :-

वो पोषक पदार्थ जो अनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं। जैसे कि न्यूक्लिक अम्ल। 

मनुष्य के शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए निम्नलिखित पोषक पदार्थों की आवश्यकता हैं। :-

  1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  2. प्रोटीन (Protin)
  3. वसा (Fat)
  4. विटामिन (Vitamin)
  5. न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid) 
  6. खनिज लवण (Minerals Salt)
  7. जल (Water)

1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) :-

कार्बोहाइड्रेट स्वस्थ आहार का एक अनिवार्य हिंसा है। यह शरीर को अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। जिससे शरीर ठीक से काम करता हैं। सबसे पहले ये जानना जरूरी है की कार्बोहाइड्रेट बनता कैसे है और इसके कितने प्रकार है.?

कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन के 1:2:1 के अनुपात से मिलकर बने कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) कहलाते हैं। 

शरीर की उर्जा की आवश्यकता का 50-70% मात्रा की पूर्ति इन्ही पदार्थों द्वारा की जाती हैं। 

जब 1gm ग्लूकोज का पूर्ण ऑक्सीकरण होता हैं तो 4.2 केल्विन उर्जा हमें प्राप्त होती हैं। 

कार्बोहाइड्रेट की अत्यधिक मात्रा लेने से बच्चो एवं वयस्कों में मोटापा हो जाता हैं। 

कार्बोहाइड्रेट के प्रकार :-

कार्बोहाइड्रेट के 3 प्रकार है.जो निम्न है। :-

1. मोनो सैकेराइड (Monosaccharides) :-

मोनो सैकेराइड कार्बोहाइड्रेट की सबसे सरल अवस्था होती है। जैसे ग्लूकोज ग्लैक्टोज, मैनोज, ट्राईओज आदि.
इनका आधारभूत सूत्र (CH2O)n होता हैं। 

2. डाइ सैकेराइड (Disaccharides) :-

समान या भिन्न मोनो सैकेराइड के दो आणुओं के सयोंजक से एक डाइ सैकेराइडस बनता है। जैसे – माल्टोस, सुक्रोज, एवं लैक्टोस आदि। 
इनका आधारभूत सूत्र (C12H22O11) होता हैं। 

3.पॉली सैकेराइडस (Polysaccharides) :-

पॉली सैकेराइडस के कई आणुओं के मिलने से लम्बी श्रृंखला वाली अघुलनशील पॉली सैकेराइडस का निर्माण होता हैं।  यह ओर्थोपोड़ा के बाह्य कंकाल एवं सेलुलोज में पाया जाता हैं। इसके अन्य उदाहरण हैं। :-
स्टार्च, ग्लाइकोजेन, काईटिन आदि। 
इनका आधारभूत सूत्र (C6H11O5)n होता हैं। 

कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख कार्य :-

  1. ऑक्सीकरण द्वारा शरीर की उर्जा की आवश्यकता को पूरा करना।
  2. शरीर में भोजन-संचय की तरह कार्य करना।
  3. विटामिन C  का निर्माण करना। 
  4. न्यूक्लिक अम्लों का निर्माण करना।
  5. जंतुओं के बाह्य कंकाल का निर्माण करना।

कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख स्त्रोत :-

अनाज में गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, आलू, शरकंद, शलगम, शर्करा में  गन्ना शहद चुकंदर  फलों में केला आम  आदि। 

2. प्रोटीन (Protein) :-

प्रोटीन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जे. बर्जीलियस ने किया था। प्रोटीन अमीनों अम्लों (Amino Acids) के बहुलक हैं। 

प्रोटीन कार्बन,हाइड्रोजन, आक्सीजन, एवं नाइट्रोजन से बनी होती हैं। सभी प्रोटीन में नाइट्रोजन पाया जाता हैं। 
  • कुछ प्रोटीन में गंधक, फास्फोरस और लौह भी पाया जाता हैं। 
  • पूर्ण विखंडन पर प्रोटीन के अणु सरल अमीनो अम्लों के आणुओं के रूप में टूटते हैं। 
  • प्रोटीन में लगभग 20 प्रकार के अमीनों अम्ल पाए जाते हैं। 
  • सभी अमीनों अम्लों की रचना में एक ही समानता होती हैं – प्रत्येक में एक क्षारीय अमीनों समूह (_NH2) तथा एक अम्लीय कर्बोकिस्ल समूह  (_COOH) होता हैं। 
  • प्रोटीन जल में प्राय: अघुलनशील होता हैं, परन्तु क्षारीय या अम्लीय घोलों में घुलनशील होता है। 
  • घुलनशील प्रोटीन एक कोलायडी घोल बनाते हैं। जो झिल्ली से निस्पंदित (Filter) नहीं हो सकते।
  • प्रोटीन शरीर के लिए बहुत आवश्यक अवयव हैं। क्योंकि यह शरीर की वृद्धि तथा उतकों की टूट-फुट के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। 
  • प्रोटीन में प्रति gm 4 कैलोरी ऊर्जा होती हैं। 
  • मानव शरीर का लगभग 15% भाग प्रोटीन से बना होता हैं। 
  • सर्वाधिक प्रोटीन सोयाबीन में पाई जाती हैं। 

प्रोटीन के प्रमुख प्रकार :-

संगठन के आधार पर प्रोटीन को मुख्य 3 वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं। 
1. सरल प्रोटीन (Simple Protein)

2. सयुंक्त  प्रोटीन (Combined Protein)

 3. व्युत्पन्न प्रोटीन (Derived Protein)

1. सरल प्रोटीन (Simple Protein) :-

ये वे प्रोटीन हैं, जिनके जलीय अपघटन पर केवल अमीनो अम्ल को प्राप्त होते हैं। उदारहण के लिए- एल्बूमिन्स, ग्लोब्यूलिन्स, ग्लोबिन्स, प्रोतोमिन्स, हिस्टोंस आदि। 

2. सयुंक्त प्रोटीन (Combined Protein) :-

ये वे प्रोटीन हैं, जिनका सयोंजन प्रोटीन के अतिरिक्त किसी अन्य अणु से भी होता हैं। उदाहरण के लिए – न्युक्लियोप्रोटीन्स, ग्लईकोप्रोटीन्स, फास्फोप्रोटीन्स, कोमोप्रोटीन्स आदि। 

3. व्युत्पन्न प्रोटीन (Derived Protein) :-

ये वे प्रोटीन हैं जो प्राकृतिक प्रोटीन के आंशिक जल अपघटन से प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए – प्रोटिअन्स, पेप्टोन, पेप्टाइड आदि। 

प्रोटीन के स्त्रोत :-

  • दाल, सोयाबीन, बादाम, पनीर, अंडे की जर्दी, मांस, मछली, दूध, आदि प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत हैं। 
प्रोटीन की कमी से बच्चों में सुखा रोग (मरास्मस) तथा क्वाशियोकर्र नामक रोग हो जाता हैं। 

क्वाशियोकर्र :-

इस रोग में बच्चों के हाथ-पावं दुबले-पतले हो जाते हैं। एवं पेट बहार की ओर निकल जाता हैं। 

मरास्मस :-

इस रोग में बच्चों की मस्पेशियाँ ढीली हो जाती हैं। 

प्रोटीन के महत्वपूर्ण कार्य :-

  • ये कोशिकाओं, जीवद्रव्य एवं उतकों के निर्माण में भाग लेते हैं। 
  • ये शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। 
  • आवश्यकता पड़ने पर ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करता हैं। 
  • ये जैव उत्प्रेरक एवं जैविक नियंत्रक के रूप में कार्य करते हैं। 
  • आनुवंशिकी लक्षणों के विकास का नियंत्रण करतें हैं। 
  • ये संवहन में भी सहायक होते हैं। 

कुछ आवश्यक प्रोटीन :- 

शारीरिक प्रोटीन                                                                     कार्य

एंजाइम                                  जैव उत्प्रेरक, जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में सहायक है। 
परिवहन प्रोटीन                       हिमोग्लोबिन, विभिन्न पदार्थों का परिवहन करती हैं। 
संकुचनशील प्रोटीन                  ये पेशी संकुचन एवं चलन हेतु उतरदायी हैं। 
हार्मोन                                     शरीर की क्रियाओं का नियमन करते हैं। 
सरंचनात्मक प्रोटीन                  कोशिका एवं उतक निर्माण करती हैं। 
रक्षात्मक प्रोटीन                       सक्रमण में रक्षा करने में सहायक है। 



3. वसा (Fat) :-

वसा कार्बन,हाइड्रोजन तथा आक्सीजन से मिलकर बने होते है। परन्तु इनमें कार्बोहाइड्रेट की तुलना में आक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है। जल में यह पूर्णतया अघुलनशील होते है। 
परन्तु क्लोरोफार्म, बेन्जीन, पेट्रोलियम आदि कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते है। 
वसा के एक अणु का संश्लेषण गिलसराल तथा वसीय अम्लों के तीनों अणुओं के एस्टर बंध (Ester Linkage)
द्वारा आपस में जुड़ने से होता है। 
  • इसी कारण इनको ट्राईग्लिसराइडस (Triglycerides) भी कहते है। 
  • क्षार द्वारा इनका पयसीकरण (Emulsification) हो सकता है। 
  • वसा सामान्यत: 20°C ताप पर ठोस अवस्था में होते है। 
  • परन्तु यदि वे इस ताप पर द्रव्य अवस्था में हो तो उन्हें तेल कहते है। 
  • 1 gm वसा के आक्सीकरण 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। 
  • हमारे शरीर को सबसे ज्यादा ऊर्जा वसा से मिलती है इसलिए इसे ऊर्जा का दूसरा स्त्रोत कहते है। 
  • सामान्यत: एक व्यस्क व्यक्ति को 20-30% ऊर्जा वसा से प्राप्त होनी चाहिए। 
  • सर्वाधिक वसा अंडे के योक व मक्खन में पाई जाती है। 
  • शरीर में इसका संश्लेषण माइटोकांड्रिया में होता है। 
  • वसा की अल्पता से त्वचा सुखी हो जाती व वजन में भी कमी आती है। 
  • वसा की कमी से कारण वसा में घुलनशील विटामिनों की भी कमी हो जाती है। 
  • वसा की अत्यधिक मात्रा से सेवन से मोटापा हो जाता है। 
  • कोलेस्ट्रोल के स्तर में वृद्धि से हृदय रोग उत्पन्न हो जाते है एवं रक्तचाप भी बढ़ जाता है। 

वसा के प्रकार :-

रासायनिक रूप से वसांए मुख्यतया दो प्रकार की होती है। :-

1.वास्तविक वसा (True Fats)

2.सयुंक्त वसा (Compound Fats)

1. वास्तविक वसा (True Fats) :-

यह प्रकृति में वनस्पतियों, फलों, बीजों आदि में पर्याप्त मात्रा में मिलती है। 
जंतुओं में यह वसा ऊतक के अतिरिक्त यकृत तथा अस्थि मज्जा में भी संचित रहती है।  
इन वसाओं के जल-अपघटन के फलस्वरूप वसा अम्ल तथा एल्कोहल प्राप्त होता है। 
 वास्तविक वसा के उदाहरण :- ट्राईओलिन (Triolin), ट्राईपालमिटिन (Tripalmitin) आदि है। 

2. सयुंक्त वसा (Compound Fats) :-

जीवद्रव्य की अन्य वसाओं में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस के अंश होते है। 
अत: इन्हें जटिल लिपिड्स (Complex Lipids) भी कहते है। 
ये मुख्य: दो प्रकार के होते है। :-

1. फास्फोलिपिड (Phaspholipid)

2. ग्लाइकोलिपिड (Glycolipid)

1. फास्फोलिपिड (phaspholipid) :-   

  • इनमें फास्फोरस भी पाया जाता है। 
  • सामान्यत: यह अंडे की जर्दी, पित्त, यकृत एवं पेशियों में संचित रहता है। 

2.  ग्लाइकोलिपिड (Glycolipid) :-

  • यह तंत्रिका तन्त्र के ऊतकों में पाई जाती है। 
  • यह तंत्रिका कोशिका, कला तथा क्लोरोप्लास्ट की कलाओं का निर्माण करता  है। 

वसा के मुख्य: स्त्रोत :- 

घी,मक्खन, बादाम, पनीर, अंडे के योक, मांस, सोयाबीन, और सभी वनस्पति तेल वसा के मुख्य: स्त्रोत है। 

वसा के मुख्य: कार्य :-

  • यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। 
  • यह त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देती है। 
  • यह खाद्य पदार्थों में स्वाद उत्पन्न करता है और आहार को रुचिकर बनता है। 
  • यह शरीर के विभिन्न अंगों को चोटों से बचाता है। 

4. विटामिन (Vitamin) :-

विटामिन ऐसे कार्बनिक Compound है। जो हमारे शरीर के Metabolism के लिए बहुत ही आवश्यक है। 
हमारा शरीर खुद से Vitamin नहीं बना पता है। इसलिए इनकी कमी हम भोजन से पूरी करते है। 
Vitamin D और Vitamin K हमारा शरीर खुद बनता है, या तो हमें प्राकृतिक से मिलते है। 

विटामिन के प्रकार :-

विटामिन के मुख्य: दो प्रकार है। :-

1. जल में घुलनशील विटामिन  (Water Soluble)

2.वसा में घुलनशील विटामिन (Fat Soluble)

1. जल में घुलनशील विटामिन (Water Soluble) :-

जल मैं घुलनशील  Vitamin B और Vitamin C होते है। 
  • Water Soluble Vitamin  Store नहीं किये जा सकते। 
  • यह हमारे शरीर में ज्यादा देर तक नहीं रहते है। 

2. वसा में घुलनशील विटामिन (Fat Soluble) :-

वसा में घुलनशील Vitamin A, Vitamin D, Vitamin E, Vitamin K होते है। 
  • Fat Soluble हमारे शरीर में आसानी से Store किये जा सकते है। 
  • यह Fatty Tissues में Store होते है। 
  • Fat Soluble Vitamin हमारे शरीर के अंदर बहुत दिनों तक ये महीनों तक भी रह सकते है। 

हमारे शरीर के लिए कितने प्रकार के विटामिन की जरूरत होती है?

हमारे शरीर के लिए 13 प्रकार के विटामिन की जरूरत होती है। 

1. Vitamin A :-

Vitamin A का रासायनिक नाम रेटिनाल (Retinol) है। यह Fat Soluble  विटामिन है। 

मुख्य कार्य :-

  • हमारी मस्पेशियाँ और हड्डी को मजबूती तथा ताकत देना है। ये खून में कैल्शियम का संतुलन बनाये रखता है। 

इसकी कमी से होने वाले रोग आखों का रोग (रतौंधी) । 

इसके मुख्य: स्त्रोत दूध, अंडा, पनीर, और सब्जियां. ये हमारे बालों को भी स्वस्थ रखता है। 

2. Vitamin B :-

Vitamin B को कई प्रकार में बांटा है। जैसे Vitamin B1, B2, B3, B5, B6, B7, B9, B12 है। 

1. Vitamin B1 :-

Vitamin B1 का रासायनिक नाम थाईमिन (Thaimine) है। यह Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

हमारे मस्तिष्क को विकसित रखने में बहुत ही उपयोगी है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग बेरी-बेरी है। 
इसके मुख्य स्त्रोत सूरजमुखी के बीज, आनाज, आलू, संतरे और अंडे। 

2. Vitamin B2 :-

Vitamin B2 का रासायनिक नाम राइबोफ्लेविन (Riboflavin) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

त्वचा को अच्छी रखने के लिए बहुत ही उपयोगी है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग त्वचा का फटना, आँख का लाल होना, जीभ का फटना आदि है। 
इसके मुख्य स्त्रोत केला, दूध, दही, मास, अंडे, हरी बीन्स और मछली है। 

3. Vitamin B3 :-

Vitamin B3  का रासायनिक नाम नियासिन (Niacin) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

Blood Pressure को Control रखने में, सिरदर्द और दस्त को कम करते है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग जैसे बाल सफेद होना, मंद बुद्धि होना। 
इसके मुख्य स्त्रोत खजूर, दुध, अंडे, टमाटर, गाजर, मूंगफली, गन्ना आदि है। 

4. Vitamin B5 :-

Vitamin B5  का रासायनिक नाम पैंटोथेनिक एसिड (Pantothenic Acid) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

बालों को स्वस्थ और सफेद होने से बचाता है। इससे तनाव भी कम होता है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग जैसे पेलाग्रा और 4-D-सिंड्रोम। 
इसके मुख्य स्त्रोत मांस, मूंगफली, आलू, टमाटर, और पत्तेदार सब्जियां। 

5. Vitamin B6 :-

Vitamin B6  का रासायनिक नाम प्यरीडाक्सीने (Pyridoxine) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :–  

यह सुबह की थकान कम करता है।  तनाव और  अनिंद्रा से भी मुक्ति देता है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग जैसे एनीमिया, त्वचा रोग। 
इसके मुख्य स्त्रोत मांस, अनाज, केले, सब्जियां। 

6. Vitamin B7 :-

Vitamin B7  का रासायनिक नाम बायोटिन (Biotin) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :–  

यह त्वचा और बालों के लिए बहुत ही अच्छा है। इसकी कमी से हमें जिल्द की सुजन (Dermatitis) हो सकती है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना। 
इसके मुख्य स्त्रोत मांस, दूध, अंडे की जर्दी (Egg Yolk), सब्जियां। 

7. Vitamin B9 :-

Vitamin B9   का रासायनिक नाम फोलिक एसिड (Folic Acid) है।  यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

यह त्वचा के रोग और गठिया के उपचार हेतु बहुत ही शक्तिशाली है। गर्भवती महिलाओं को यह लेने की सलाह दी जाती है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग एनीमिया, पेचिश रोग। 
इसके मुख्य स्त्रोत दाल, सब्जियां, सूरजमुखी के बीज, फलों में भी यह होता है।  

8. Vitamin B12 :-

Vitamin B12  का रासायनिक नाम सयनोसोबलमीन (Cyanocobalamin) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

यह एनीमिया (खून की कमी), मुहं में अलसर जैसी बिमारियों को कम करता है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग एनीमिया, पंडूरोग। 
इसके मुख्य स्त्रोत मांस, कलेजी, दूध, और दूध से बनाये गये उत्पाद, अंडा आदि। 

3. Vitamin C :-

इसका रासायनिक नाम एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic Acid) है। यह भी Water Soluble होता है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

यह हमारी त्वचा और हड्डियों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह किसी घाव को ठीक करने में बहुत ही ज्यादा मदद करते है। 
इसकी कमी से होने वाले रोग स्कर्वी, मसूड़ों का फूलना। 
इसके मुख्य स्त्रोत निम्बू, संतरा, नारंगी, टमाटर, खट्टे पदार्थ। 

4. Vitamin D :-

इसका रासायनिक नाम केल्सिफेरोल (Calciferol)  है. यह Fat Soluble है। 

इसके मुख्य: कार्य :

 हमारे शरीर में कैल्शियम Absorb करने में बहुत ही मदद करता है, तथा Immune System को मजबूत करने में भी मदद करता है, दांतों की सडन को कम करता है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग सुखा रोग (Rickets) है। 
  • Vitamin D बनाने का काम सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पैराबेंगनी किरणों द्वारा त्वचा के कोलेस्ट्रोल द्वारा होता है। 
इसका मुख्य स्त्रोत सूर्य का प्रकाश, दूध, अंडे की जर्दी। 

5. Vitamin E :-

इसका रासायनिक नाम टेकोफेरोल्स (Tocopherols) है।  यह भी Fat Soluble है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

हमारी Immune System को मजबूत बनता है। 
इसकी कमी से होने वाला रोग जनन शक्ति का कम होना है। 
इसके मुख्य स्त्रोत वनस्पति तेल, आनाज, बादाम, अंडा, दूध आदि है। 
  • जिन लोगों को किसी प्रकार के लीवर रोग होते है। उनको यह ज्यादा लेने के लिए कहा जाता है। 

6. Vitamin K :-

इसका रासायनिक नाम फिलोक्विनोन (Phylloquinone) है। यह भी Fat Soluble है। 

इसके मुख्य: कार्य :– 

यह स्वस्थ हड्डियों और ऊतकों के लिए प्रोटीन बनाकर हमारे शरीर की मदद करता है। 

इसकी कमी से रक्त का थक्का बनता है। 

इसका मुख्य स्त्रोत टमाटर और हरी सब्जियां है। 

5. न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acid) :-

प्रत्येक कोशिका के अंदर केन्द्रक पाए जाते है और केन्द्रक के अंदर कुछ ऐसे पदार्थ पाए जाते है। जैसे केन्द्रिकाद्र्व्य, केन्द्रिका और वहीं पर बहुत सारे न्युक्लिस (केंद्रिका) न्युक्लिस के अंदर न्यूक्लिक एसिड पाया जाता है। न्यूक्लिक अम्ल ही अनुवांशिक पदार्थ का कम करते है। 

न्यूक्लिक अम्ल की खोज स्विजरलेंड के वैज्ञानिक फ्रेडरिक  मिशर  ने सन् 1869 में पस (घाव में जो मवाद होते है) द्वारा खोजा था।  इन्होने सबसे पहले इसका नाम न्युक्लिन रखा। उसके कुछ साल बाद 1879 में  एक वैज्ञानिक अल्टनान ने इसके अम्लीय गुण का पता लगाया कि ये जो पदार्थ है। इसमें अम्लीय गुण है।  इन्होने इसका नाम न्यूक्लिक एसिड दिया। 
उसके बाद कोसेल हो गये। इन्होने इसके रासायनिक घटकों का पता लगाया कि इसमें कौन कौन से रासायनिक घटक है। उस दौरान इसमें बहुत तरह के यौगिक मिलें और ये बहुलक के आधार पर होतें है। उस तरह उन्होंने कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे घटक मिलें। 

न्यूक्लिक अम्ल का  निर्माण  कैसे होता है। :-

न्यूक्लिक अम्ल का निर्माण न्युक्लिओ टाइड द्वारा होता है।  न्युक्लिओ टाइड के बहुलक न्यूक्लिक अम्ल ही होते है। न्युक्लिओ टाइड का जब अपघटन किया गया तो कुछ चीजे सामने आई। न्युक्लिओ टाइड नाइट्रोजन पेन्टोजशर्करा फास्फोरिक अम्ल से बने होतें है। 

न्यूक्लिक अम्ल के प्रकार :-

न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होतें है। 

1. DNA Deoxyribonucleic Acid (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल)

2. RNA Ribonucleic Acid (राइबो न्यूक्लिक अम्ल)

6. खनिज लवण (Mineral salt) :-

खनिज लवण अकार्बनिक पदार्थ है। धातु और अधातु एवं उनके लवण को खनिज लवण कहते है। हमारे शरीर का 6.1 भाग को खनिज लवण के द्वारा ही बनाया जाता है। मानव शरीर में कम से कम 29 तत्व पायें जाते है। इनसे उर्जा तो प्राप्त नही होती। बल्कि हमारे शरीर के लिए यह बहुत ही आवश्यक है। 
  हमारे शरीर में ऊर्जा देना का काम  कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन करतें है। लेकिन  जितनी आवश्यकता इन पदार्थों की है। उससे कहीं ज्यादा आवश्यकता हमे खनिज पदार्थों की होती है। 

खनिज लवण कितने प्रकार के होतें है। :-

खनिज लवण आवश्कता के आधार पर 2 प्रकार के होतें है। 

1. बृहत पोषक तत्व (Macro Nutrients) 

2. सूक्ष्म पोषक तत्व (Micro Nutrients)

1. बृहत पोषक तत्व (Macro Nutrients) :-

बृहत पोषक तत्व वे तत्व होतें है। जिनकी आवश्यकता हमारे शरीर के लिए अधिक मात्रा में होती है। इसमें सोडियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम आदि आते है। 

2. सूक्ष्म पोषक तत्व (Micro Nutrients) :-

सूक्ष्म पोषक तत्व वे तत्व होतें है। जिनकी आवश्यकता हमरे शरीर के लिया कम मात्रा में होती है। इसमें  फ़्लोरिन, मोलिविडनम, और आयोडीन आदि आते है। आयोडीन की बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है। अगर इसकी कमी होती है तो हमें घेंघा  नामक रोग होता है। थायरोक्सिन हार्मोन्स की कमी हो जाती है। 

7. जल (Water) :-

पानी हमारे जीवन के लिए काफी अनमोल है। हमारी धरती  71% पानी से भरी है। इसका रासायनिक नाम H2O है। हमारे शरीर के लिए ज्यादा पानी भी खराब है और कम पानी भी खराब है। आखिरकार हमारा शरीर 60% पानी से बना है तो हमे एक दिन में 8-10 गिलास पानी यानि 1-3 लिटिर पानी पीना चाहिए। 
हमारे शरीर के लिए ज्यादा पानी पीना भी हानिकारक है। ज्यादा पानी पिने से हमें उल्टियाँ आदि हो सकती हैं। पानी का स्वाद फीका और अव्यवस्थित होता है। यह स्वाद पानी में मिले हुए Mineral से आता है। Vitamin और Mineral भी हमारे शरीर के लिए जरूरी होतें है। 

पानी की 3 चरण है। 

1. ठोस

2. तरल

3. गैस 

यदि पानी का तापमान 0° Cसे कम होता है तो वह ठोस बन जाता है। जिसे हम बर्फ भी कहते है। यदि पानी का तापमान 0°C – 100°C होता है तो वह तरल पदार्थ होता है। यदि पानी का तापमान 100°C से ज्यादा कर देते है तो वह उबलने लगता है और  भाप में बदल जाता है। 

तो दोस्तों जैसा की आज का हमारा Topic पोषक पदार्थ और हमारे शरीर के लिए किन-किन पोषक पदार्थों की जरूरत होती है। इनके बारे में हमने आज पूरी जानकारी प्राप्त की। 
 पोस्ट मैं मैंने आपको बताया कि मनुष्य के शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, और न्यूक्लिक अम्ल, और जल  की आवश्यकता के बारे में पढ़ा  और इस पोस्ट में मैंने आपको बताया की पोषक पदार्थ क्या होते हैं। इसके कौन कौन से प्रकार होते हैं में ये मानता हूँ की अपने इस पोस्ट को अच्छी तरह पढ़ा होगा और समझा होगा। अगर आपको कहीं समझ न आया  हो तो आप  मुझे comment करके बता सकते हो। मैं आपके Question का Answer देने की पूरी कोशिश  करूंगा। 

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दोस्तों पोस्ट को पढने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ और आपसे अलविदा चाहता हूँ। अलगी पोस्ट मैं फिर नए Topic and Tips के साथ मिलेंगें. तब तक के लिए धन्यवाद। 

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