ओवुलेशन एक प्रक्रिया है जो महिलाओं में हर महीने होती है जब एक अंडा उत्पन्न होता है। यह प्रक्रिया मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर में होती है।ओवुलेशन का मतलब है कि एक महिला के शरीर में एक अंडा तैयार होता है जो योनि से निकलता है। इस अंडे का यदि शुक्राणु के साथ मिलाव होता है, तो गर्भधारण हो सकता है। इसलिए, ओवुलेशन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो गर्भधारण के लिए जरूरी होती है।
ओवुलेशन पीरियड क्या होता है?
हमारे मन में बहुत बार यह सवाल आता है की ओवुलेशन कितने दिन में होता है? लेकिन आज में आपको इसके बारे में बहुत सही जानकारी देना चाहूंगा आप लेख को पूरा पढ़े। ओवुलेशन पीरियड वह समय होता है जब एक महिला के शरीर में अंडा उत्पन्न होता है और उसे योनि से निकालने के लिए तैयार होता है। यह सामान्यतः मासिक धर्म के दौरान होता है, लेकिन अधिकतर महिलाओं में इस समय की समय-सीमा 12 से 24 घंटे की होती है।
एक महिला के मासिक चक्र के आधार पर, ओवुलेशन पीरियड मासिक चक्र के बीच के 14वें दिन के आसपास होता है। यदि मासिक चक्र का लंबाई 28 दिन है, तो ओवुलेशन का समय मासिक चक्र के 14वें दिन के आसपास होगा।
लेकिन महिलाओं में मासिक चक्र की लंबाई भिन्न होती है, इसलिए ओवुलेशन पीरियड का समय भी भिन्न होता है। कुछ महिलाओं में, ओवुलेशन का समय मासिक चक्र के 10वें दिन से लेकर 19वें दिन के बीच होता है।
ओवुलेशन के समय को जानना आवश्यक होता है क्योंकि यह आपकी गर्भावस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आप ओवुलेशन के समय जानती हैं तो आप गर्भधारण के लिए तैयार हो सकती हैं और अपने संतान की जन्म देने की योजना बना सकती हैं।
अब शायद आपको यह पता लग गया है की ओवुलेशन पीरियड क्या होता है? ओवुलेशन पीरियड का पता लगाने के लिए, महिलाओं को अपने शरीर के संकेतों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि बार-बार पेशाब जाना, बदहजमी, पेट में दर्द या बदहजमी इत्यादि।
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ओवुलेशन पीरियड के लक्षण
ओवुलेशन पीरियड एक महिला के मासिक धर्म का उस समय होता है, जब उसके शरीर में अंडाशय से एक अंडा निकलता है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ लक्षण होते हैं जो महिलाओं में अलग-अलग होते हैं। जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-
1. पेट में दर्द
ओवुलेशन पीरियड एक महिला के मासिक धर्म के दौरान उसके शरीर में एक अंडा पकने के लिए तैयार होता है। यह अंडा फैलोपियन ट्यूब में जाकर गर्भाशय की ओर बढ़ता है। इस समय, कुछ महिलाओं को पेट में दर्द का अनुभव होता है, जो इस पीरियड के दौरान बहुत आम होता है। यह दर्द इतना हल्का हो सकता है कि उसे महसूस नहीं किया जाता हो, लेकिन इसके बारे में अधिकतर महिलाओं को जानकारी होती है।
कुछ महिलाओं को यह दर्द बहुत गंभीर होता है, जो कुछ घंटों या कुछ दिनों तक चलता है। इस दर्द के अलावा, कुछ महिलाओं को ओवुलेशन पीरियड में बार-बार मूत्र आने की समस्या हो सकती है और वे थकावट और कमजोरी का अनुभव कर सकती हैं।
2. योनि से खून निकलना
कुछ महिलाओं को ओवुलेशन के समय योनि से थोड़ा सा खून निकलता है जो एक हिसाब से बहुत कम होता है। इस समय, कुछ महिलाओं को योनि से थोड़ा सा खून निकलने का अनुभव होता है, जो इस पीरियड के दौरान बहुत आम होता है। इसका कारण यह हो सकता है कि अंडे के निकट रक्त संचारित होने से योनि में थोड़ा सा खून निकलता है।
3. बदलती योनि की नमी
इस समय, कुछ महिलाओं को योनि में बदलती नमी का अनुभव हो सकता है। योनि में नमी की स्तर ओवुलेशन के दौरान बढ़ जाती है जो उसके संतुलन को बढ़ाती है जो एक अंडे के गर्भावस्था के लिए ज़रूरी होता है। यह बदलती नमी कुछ महिलाओं में योनि में दरारें या खुजली का भी कारण बनती है। कुछ महिलाओं को योनि में खुजली की समस्या भी हो सकती है। अधिकतर महिलाएं इस अनुभव से नहीं गुजरती हैं।
4. अधिक सेक्स इच्छा
ओवुलेशन के समय कुछ महिलाओं को अधिक सेक्स इच्छा होती है। यह एक सामान्य लक्षण है जो इस समय होने वाली शारीरिक परिवर्तनों के कारण होता है। ओवुलेशन पीरियड में, महिलाओं के शरीर में प्रोगेस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जो उनकी सेक्स इच्छा में वृद्धि करता है।
एक स्वस्थ और सुरक्षित सेक्स लाइफ संभव बनाए रखने के लिए, इस विषय पर अपने पार्टनर के साथ खुले रहना बेहतर होता है। इसके अलावा, कंडोम या अन्य गर्भ निरोधक विधियों का उपयोग भी उन लोगों के लिए जरूरी होता है, जो अपनी सेक्स इच्छाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं।
5. स्तनों में सूजन और दर्द
इस अवधि के दौरान कई तरह के शारीरिक लक्षण भी होते हैं, जिनमें स्तनों में सूजन और दर्द भी शामिल होते हैं। ओवुलेशन पीरियड के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे स्तनों में सूजन और दर्द होता है। स्तनों में सूजन और दर्द को कुछ लोग अनुभव नहीं करते हैं, जबकि कुछ लोगों के लिए यह बहुत असहनीय होता है।
यदि आप स्तनों में सूजन और दर्द का अनुभव कर रही हैं, तो आपको अपने ब्रेस्ट के साइज में बदलाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह सामान्य लक्षण हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप नरम ब्रा या स्तन दाबने वाली ब्रा पहन सकते हैं। ब्रा का साइज सही होना बहुत जरूरी है क्योंकि गलत साइज के ब्रा से स्तनों में दर्द हो सकता है।
ओवुलेशन पीरियड एक महिला के जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय महिला के शारीर में अनेक बदलाव आते हैं जिन्हें लक्षण के रूप में अनुभव किया जा सकता है। इन लक्षणों को जानना बेहद जरूरी है ताकि महिलाएं अपने शारीर में जो हो रहा है उसे समझ सकें और उन्हें इस अवधि में स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक उपाय अपना सकें।
ओवुलेशन पीरियड के लक्षण बहुत से होते हैं जिनमें से कुछ आम होते हैं और कुछ गंभीर भी होते हैं। इन लक्षणों में से पेट में दर्द, योनि से थोड़ा सा खून निकलना, बदलती योनि की नमी, अधिक सेक्स इच्छा और स्तनों में सूजन और दर्द शामिल होते हैं।
इन लक्षणों के साथ अगर कोई अन्य लक्षण भी हो जैसे बुखार, उल्टी, सिरदर्द या पेशाब में जलन तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। इसके अलावा ओवुलेशन पीरियड के समय महिलाओं को अपने आहार और व्यायाम का खास ख्याल रखना चाहिए।
ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण
ओवुलेशन एक महत्वपूर्ण घटना है जो स्त्री के शरीर में होती है। यह घटना गर्भाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ओवुलेशन के बाद निषेचन का समय भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह समय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय एक स्त्री गर्भवती हो सकती है।
इसलिए, यदि आप गर्भवती होने की उम्मीद कर रही हैं तो ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षणों को ध्यान से समझना बहुत जरूरी होता है।ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
- ओवुलेशन के बाद निषेचन के समय, अगर सेक्सुअल संबंध बनाए जाते हैं तो गर्भावस्था का सम्भावना बढ़ जाता है।
- निषेचन के दौरान कुछ महिलाओं को पेट में हल्का दर्द हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर ओवुलेशन के दिनों में महसूस किया जाता है।
- निषेचन के दौरान कुछ महिलाओं को स्तनों में सूजन हो सकती है।
- निषेचन के दौरान कुछ महिलाओं को मांसपेशियों में हल्का खिंचाव हो सकता है।
- अगर आपको अपने मासिक धर्म के अलावा अधिक मात्रा में ब्लड डिस्चार्ज होता है तो यह निषेचन हो सकता है। यह सामान्य तौर पर ओवुलेशन के 10-14 दिन के बाद होता है।
- ओवुलेशन के बाद निषेचन के समय मूड स्विंग दिखाई देने लगते हैं। यह मूड स्विंग अचानक रूखे होने लगते हैं।
- निषेचन के समय आपको गर्मियों की भावना महसूस हो सकती है। आपका शरीर ऊष्मा उत्पन्न करता है जो निषेचन के दौरान बढ़ जाती है।
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ओवुलेशन के बाद कब तक गर्भावस्था होती है?
ओवुलेशन के बाद अंडाशय से छोटा से छोटा एक अंडा निकलता है जो फैलोपियन ट्यूब में आता है जहाँ उसे स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। यदि स्पर्म अंडे को फर्टिलाइज करता है तो गर्भावस्था शुरू होती है। लेकिन फर्टिलाइजेशन की समय सीमा ज्यादा नहीं होती है।
स्पर्म का जीवनकाल लगभग 5 दिन होता है और अंडे का जीवनकाल लगभग 24 घंटे होता है। इसलिए, ओवुलेशन के 5 दिन पहले से 24 घंटे बाद सेक्स करना ज्यादा संभव होता है कि फर्टिलाइजेशन होगा।
फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है?
जैसा की हमने आपको अभी ऊपर बताया की फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है अब आप इसमें यह भी जान सकते है की फर्टिलाइजेशन किन किन चीजों के ऊपर निर्भर करता है।
फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के बाद होता है जब अंडा उत्पन्न होता है, तो वह फैलोपियन ट्यूब में आता है और वहां शुक्राणु के साथ मिलता है। यदि शुक्राणु अंडे के साथ मिल जाते हैं, तो गर्भवती होने की संभावना होती है। इस प्रक्रिया को फर्टिलाइजेशन या गर्भधारण कहा जाता है।
फर्टिलाइजेशन गर्भधारण की प्रक्रिया है जिसमें पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाशय के अंडे मिलकर बच्चे के उत्पन्न होने का काम करते हैं। फर्टिलाइजेशन का यह प्रक्रिया कई चीजों पर निर्भर करता है। जो इन चीजों पर निर्भर करती हैं :-
- फर्टिलाइजेशन के लिए सही समय महत्वपूर्ण होता है। महिला के अंडाशय में एक अंडा जो उत्पन होता है उसके 24 घंटे के अंदर फर्टिलाइजेशन हो जाना चहिए। वह एक सही समय है।
- यदि शुक्राणु अच्छी गुणवत्ता वाले होंगे तो फर्टिलाइजेशन की संभावना ज्यादा होगी। शुक्राणु की गुणवत्ता फर्टिलाइजेशन के लिए महत्वपूर्ण होती है।
- शुक्राणुओं की गति अंडे के साथ मिलने पर भी निर्भर करती है। अगर शुक्राणुओं की गति सही नहीं होगी तो वे अंडे तक नहीं पहुंच पाएंगे और फर्टिलाइजेशन नहीं होगा।
- यदि महिला के अंडाशय में अच्छी गुणवत्ता के अंडे होंगे तो फर्टिलाइजेशन की संभावना ज्यादा होगी।
- योनि की स्वस्थता भी फर्टिलाइजेशन पर प्रभाव डालती है। यदि योनि में कोई संक्रमण होता है तो फर्टिलाइजेशन की संभावना कम हो जाती है।
- गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ खानपान का सेवन करना। स्वस्थ खानपान से मां और उनके गर्भवती शिशु दोनों के लिए बहुत लाभदायक होता है
- योनि की स्वस्थता भी फर्टिलाइजेशन पर प्रभाव डालती है। यदि योनि में कोई संक्रमण होता है तो फर्टिलाइजेशन की संभावना कम हो जाती है।
साधारणतय: प्रथम दिन से लेकर ओवुलेशन तक के दिनों को गर्भधारण दिन (fertile days) कहा जाता है। ओवुलेशन के दिन को अंग्रेजी में ‘ovulation day’ और फर्टिलाइजेशन के दिन को ‘conception day’ कहा जाता है।
अंत में, फर्टिलाइजेशन एक अहम मोमेंट होता है जब नई जिंदगी का आरम्भ होता है। इसलिए, फर्टिलाइजेशन पर ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है और इसके लिए महिलाओं को अपने शरीर की संभावित संक्रमण रोकने और स्वस्थ खानपान के साथ-साथ स्वस्थ मानसिक अवस्था बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
ओवुलेशन गर्भावस्था के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण घटना है। इस समय अधिकतर महिलाएं गर्भावस्था की तलाश में होती हैं जबकि ओवुलेशन के बाद कुछ गलतियों की वजह से गर्भावस्था में कई तरह की जटिलताएं आ सकती हैं। इसलिए, ओवुलेशन के बाद कुछ चीजें नहीं करनी चाहिए जो निम्न हैं।
1. सेक्स
यदि आप गर्भवती होना नहीं चाहते हैं, तो ऑवुलेशन के बाद सेक्स करना अच्छा नहीं होता है। इस दौरान यौन संबंध बच्चे के जन्म के लिए बेहद फलदायी हो सकता है, लेकिन इससे गर्भावस्था के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकता है।
इसलिए, यदि आप गर्भवती नहीं होना चाहते हैं, तो ऑवुलेशन के बाद कुछ दिनों तक सेक्स से बचना चाहिए। साथ ही, इस समय कंडोम या अन्य गर्भ निरोधक उपकरणों का भी उपयोग करना चाहिए जो गर्भावस्था के खतरे को कम कर सकते हैं।
2. अधिक शारीरिक श्रम
ओवुलेशन के बाद अधिक शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए। अधिक शारीरिक श्रम जैसे वजन उठाना, दौड़ना, एक्सरसाइज या फिटनेस एक्सरसाइज करना आदि शारीर के ऊतकों को तनाव में रखता है जो ओवुलेशन के बाद नुकसानदायक हो सकता है। आपको इस समय अधिक आराम लेना चाहिए और अधिक शारीरिक श्रम से बचना चाहिए। इससे आपके शारीर के ऊतक ठीक से फलते हुए अपना काम कर सकते हैं और आपको एक स्वस्थ गर्भावस्था का आनंद मिल सकता है।
3. सड़क या जंगल में घूमना
ओवुलेशन के दौरान महिला को अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस समय वह अपने शरीर की कमजोरी से बचने के लिए सड़क या जंगल में नहीं घूमना चाहिए। सड़क या जंगल में घूमने से न केवल शरीर की थकान बढ़ती है बल्कि यह आपकी ओवुलेशन अवधि के दौरान शारीरिक तनाव भी बढ़ा सकता है जो आपके बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है।
ओवुलेशन के दौरान आपको स्वस्थ खाने की आदत बनानी चाहिए और अपने खाने का समय ठीक से रखना चाहिए। आपको उचित आराम और तनाव मुक्त वातावरण में रहना चाहिए जिससे आपका शरीर आरामपूर्वक आराम कर सकता है और आपके बच्चे का विकास सही ढंग से हो सकता है।
4. तंबाकू या शराब
यदि आप तंबाकू या शराब का सेवन करते हैं, तो आपको इसे छोड़ना चाहिए। तंबाकू या शराब का सेवन ओवुलेशन के बाद शारीर में हानिकारक हो सकता है, जो गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है। इन दोनों चीजों में मौजूद निकोटीन और अल्कोहल समान रूप से अस्वस्थता और असामान्य गर्भावस्था से जुड़े कई दुष्प्रभावों का कारण बनते हैं।
तंबाकू और शराब का सेवन गर्भावस्था में शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है जो उसके स्वस्थ जन्म के लिए आवश्यक होता है। इसलिए, ओवुलेशन के बाद आपको तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए ताकि आपकी गर्भावस्था स्वस्थ रहे और आपके शिशु के स्वस्थ विकास को कोई बाधा न हो।
5. दवाओं का अधिक सेवन
हमें अधिक दवाओं का सेवन करने से बचना चाहिए। कुछ दवाओं के सेवन से गर्भाधान की क्षमता प्रभावित हो सकती है। उन दवाओं में नॉनस्टेरॉएडल एंटी-इंफ्लामेट्री दवाएं, एंटीबायोटिक दवाएं, एंटीडिप्रेसेंट दवाएं, एंटीकोगुलेंट दवाएं आदि शामिल होती हैं। इसलिए, इन दवाओं के सेवन से बचना चाहिए।
ओवुलेशन के बाद अधिकतम प्रकार की दवाएं दिन के समय लिया जाना चाहिए ताकि शरीर को इनकी सही मात्रा और समय पर मिल सके। इसके अलावा, किसी भी नई दवा का सेवन करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है।
ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए?
महिलाओं में ओवुलेशन के बाद खाने का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान आहार का असर गर्भाशय और बच्चे के स्वास्थ्य पर सीधे पड़ता है। इस समय ठीक से खान-पान करना बहुत जरूरी होता है।ओवुलेशन के बाद निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए :-
1. प्रोटीन भरपूर भोजन
ओवुलेशन के बाद प्रोटीन भरपूर भोजन खाना बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन से भरपूर भोजन खाने से महिलाओं को जरूरत के अनुसार ऊर्जा मिलती है और वे अपने शारीर को स्वस्थ रख सकती हैं। इसके अलावा, प्रोटीन भोजन से हमारे शरीर में न्यूरोत्रांसमिटर जैसे महत्वपूर्ण तत्व बनते हैं जो मस्तिष्क को स्वस्थ रखते हैं। ऑमेगा-3 फैटी एसिड भी आपके शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। मछली और नट्स आदि खाद्य पदार्थ ऑमेगा-3 फैटी एसिड स्रोत होते हैं।
प्रोटीन भरपूर भोजन के लिए अंडे, मांस, सोया बीन्स, पनीर, दूध आदि अच्छे स्रोत होते हैं। इन्हें खाने से शरीर को प्रोटीन के अलावा विटामिन और मिनरल जैसे कैल्शियम, विटामिन बी12 आदि भी मिलते हैं जो शरीर को और भी स्वस्थ बनाते हैं। ओवुलेशन के बाद प्रोटीन भरपूर भोजन के अलावा खुद को हाइड्रेटेड रखना भी बहुत जरूरी होता है।
2. फल और सब्जियां
फलों और सब्जियों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं और इंफेक्शन से बचाते हैं। आपको फल और सब्जियां जैसे प्राकृतिक भोजनों का अधिक सेवन करना चाहिए। इनमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल समेत कई पोषक तत्व होते हैं जो आपके शारीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।फल और सब्जियों में विटामिन सी, ए, डी, कैल्शियम, पोटैशियम, फोलेट आदि तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं।
फल जैसे कि सेब, केले, संतरे, अनार, अमरूद, आम आदि को खाने से आपको शरीर में ऊर्जा मिलती है और आपके शरीर के लिए महत्वपूर्ण विटामिन तत्व प्राप्त होते हैं। सब्जियां जैसे कि गोभी, बैंगन, टमाटर, गाजर, लौकी, पालक आदि अधिक प्रोटीन और फाइबर समेत कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
3. पौष्टिक अनाज
इस समय महिलाओं को ज्यादा पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस समय अनाज, दालें, सब्जियां, फल और खीरे जैसी तरल पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है।
पौष्टिक अनाज में गेहूं, ब्राउन राइस, व्हीट ब्रेड, जौ, चावल, बाजरा, राजगीरा और सोयाबीन शामिल होते हैं जो अधिक प्रोटीन वाले होते हैं। इनका सेवन शरीर को पौष्टिकता प्रदान करता है और महिलाओं में शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
4. हल्दी वाला दूध
हल्दी वाला दूध एक ऐसा पौष्टिक आहार है जो आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी वाला दूध एक ऐसा प्राकृतिक घरेलू उपचार है जो आपके शरीर को समृद्ध बनाता है और आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
दूध में होने वाले प्रोटीन आपके शरीर को ऊर्जा देते हैं जो आपके शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती हैं। हल्दी में मौजूद कुछ विशेष गुण आपके शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण आपके शरीर के कोशिकाओं को रखते हैं।
5. शुगर युक्त ड्रिंक्स
शुगर युक्त ड्रिंक्स जैसे कि कोला, लाइम और अन्य मीठे जूस खाने से बचें। इनमें मौजूद शुगर आपके शरीर के लिए नुकसानदायक होती है। इसके अलावा, कॉफी और चाय में मौजूद कैफीन आपके बॉडी को डिहाइड्रेट कर सकता है और आपके फैलोपियन ट्यूब के विस्तार को नुकसान पहुंचा सकता है।
ओवुलेशन के बाद शुगर युक्त ड्रिंक्स की जगह आप सेब, नाशपाती, अंगूर जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं जो आपके शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ आपके शरीर को पोषण भी प्रदान करते हैं।
ओवुलेशन के बाद स्वस्थ भोजन खाना बहुत जरूरी होता है। इस वक्त आपके शरीर को उन ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता होती है जो आपके बच्चे के संचय को लगातार बढ़ाने में मदद करते हैं। इसलिए अपने भोजन में स्वस्थ खाद्य पदार्थों को शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
ओवुलेशन के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?
ओवुलेशन यानि अंडाशय छूटने की प्रक्रिया हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान हमें खाने पीने का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि हमारे शरीर के लिए सही पोषण हो सके। ओवुलेशन के बाद कुछ चीजों का सेवन बेहद हानिकारक हो सकता है, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
1.तली हुई चीजें
ओवुलेशन के बाद तली हुई चीजों का सेवन करना बेहद हानिकारक हो सकता है। ऐसी चीजों में भजिया, समोसा, फ्रेंच फ्राइज, नमकीन इत्यादि शामिल होते हैं। इनमें मौजूद तेल और वसा सेहत के लिए बेहद हानिकारक होते हैं और ये आपको बढ़ते वजन के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी जुड़ सकते हैं।
2. कॉफ़ी और चाय
ओवुलेशन के बाद अधिक मात्रा में कॉफ़ी और चाय का सेवन करना भी बेहद नुकसानदायक होता है। इनमें मौजूद कैफीन के कारण ये आपके नींद और खाने के प्रति रुचि को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, ओवुलेशन के बाद कॉफ़ी और चाय की जगह ज्यादा से ज्यादा पानी, नारियल पानी, नींबू पानी, फलों और सब्जियों से बनी जूस इत्यादि पिएं।
3. मीठे का सेवन
ओवुलेशन के बाद तले हुए मीठे पदार्थों का सेवन करना बेहद नुकसानदायक होता है। इसमें समेत होते हैं गुलाब जामुन, जलेबी, रसगुल्ला आदि। ये मीठे आपके शरीर में अतिरिक्त शक्कर की मात्रा बढ़ा सकते हैं जो आपकी सेहत के लिए बेहद हानिकारक होती है।
इसलिए, ओवुलेशन के बाद आपको स्वस्थ खाने की आदतों का पालन करना चाहिए। सब्जी, फल, दलिया, खिचड़ी, सूप, घी आदि आपकी सेहत के लिए बेहतर होते हैं। इनमें अधिक पोषक तत्व होते हैं जो आपको शक्ति देते हैं और ऊर्जा को बढ़ाते हैं। इसलिए, आप यह सुनिश्चित करें कि आप अपने भोजन में इन स्वस्थ विकल्पों को शामिल करें ताकि आपकी सेहत अच्छी रहे।